दुनिया के 7 अजूबे (Seven Wonders of the World)
दुनिया के 7 अजूबे, 7 Wonders of the World हमारी दुनिया अनोखी संरचनाओं से भरी हुई है जो मानव निर्मित और प्राकृतिक दोनों हैं। मानव निर्मित कुछ कृतियों में चर्च, मकबरे, मंदिर, स्मारक, मस्जिद, इमारतें और शहर भी शामिल हैं। इन संरचनाओं ने समय की कसौटी खुद को साबित किया है की ये संरचनाये आज के दिन भी अद्भुत है जिसे देख कर लोग आज भी आश्चर्य में पड़ जाते की ये कैसे मानव द्वारा आज से कई साल पहले कैसे निर्मित किया गया होगा जब मानव सभ्यता के पास इतनी सुविधाएं नहीं थी मॉडर्न साइंस भी जिसका जवाब नहीं दे पाती इस कारन इन्हे अजूबे यानि के सबसे आश्चर्य बताया गया है। दुनिया में कई हैं, लेकिन केवल सात ही चुने गए हैं, जिन्हें सबसे अच्छा माना जाता है।
- ताजमहल (Taj Mahal)
- कोलोसियम (Colosseum)
- चिचेन इट्ज़ा (Chichen Itza)
- माचू पिचू (Machu Picchu)
- क्राइस्ट द रिडीमर (Christ the Redeemer)
- चीन की विशाल दीवार (Great Wall of China)
- पेत्रा (Petra)
वर्तमान में, न्यू 7 वंडर्स फाउंडेशन द्वारा चुना गया, विश्व के सात अजूबों में ताजमहल (Taj Mahal), कोलोसियम (Colosseum), चिचेन इट्ज़ा (Chichen Itza), माचू पिचू (Machu Picchu), क्राइस्ट द रिडीमर (Christ the Redeemer), पेट्रा (Petra) और चीन की विशाल दीवार (Great Wall of China) हैं।
1. ताजमहल (Taj Mahal)
ताज महल जिसे प्यार की निसानी भी कहते है जो शाहजहां ने अपने पत्नी मुमताज के यादमें बनाया है। आगरा (India) में स्थित इस मकबरे के परिसर को दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित स्मारकों में से एक माना जाता है इसके साथ ही इसे विश्व धरोहर के सर्वत्र प्रशंसा पाने वाली, अत्युत्तम मानवी कृतियों में से एक बताया गया। ताजमहल को भारत की इस्लामी कला का रत्न भी घोषित किया गया है और शायद यह मुगल वास्तुकला का सबसे अच्छा उदाहरण है। इसका निर्माण सम्राट शाह जहान (1628-58 तक) ने अपनी पत्नी मुमताज के सम्मान के लिए किया था, जिनकी मृत्यु 1631 में उनके 14 वें बच्चे को जन्म देने से हुई थी। कॉम्प्लेक्स के निर्माण में लगभग 22 साल और 20,000 श्रमिकों को लगा, जिसमें एक परावर्तक पूल के साथ एक विशाल उद्यान शामिल है। मकबरा सफेद संगमरमर से बना है जिसमें ज्यामितीय और पुष्प पैटर्न में अर्ध-पत्थरों की विशेषताएं हैं। इसका राजसी केंद्रीय गुंबद चार छोटे गुंबदों से घिरा हुआ है। सन् 1973 में, ताजमहल युनेस्को विश्व धरोहर स्थल बना।
2. कोलोसियम (Colosseum)
कोलोसियम इटली देश के रोम नाम के सहर में इस्थित है यह रोमन साम्राज्य के का विशाल निर्माण कार्यो में से एक है इसका निर्माण तत्कालीन शासक वेस्पियन ने 70वीं – 72वीं ईस्वी के मध्य प्रारंभ किया और 80वीं ईस्वी में इसको सम्राट टाइटस ने पूरा किया था इसे मुख्यता मनोरंजन के लिए बनाया गया था जहा सैनिको के बिच आपसी युद्ध प्रतिस्पर्धा राखी जाती थी जो लड़ाई बहोत खुनी होती थी इसमें बहोत से जानवरो के बिच भी लड़ाया जाता था जो की सिर्फ मनोरंजन के लिए किया जाता था इस बड़े से सटूडियम में उस समय 40000 से 50000 लोगो के बैठने की व्यव्श्था थी जो की उस समय के हिसाब से बहोत ज्यादा थी योद्धाओ को जानवरो से भी लड़ाई जाते थे कुछ अनुमानों के अनुसार इसमें लगभग 500000 इंसान और अनगिनत जानवर मरे गए है।
3. चिचेन इट्ज़ा (Chichen Itza)
चिचेन इट्ज़ा मेक्सिको में युकाटन प्रायद्वीप पर एक मेयन शहर है, जो 9 वीं और 10 वीं शताब्दी ईस्वी में फला-फूला। मायाण जनजाति के तहत इट्ज़ा – जो टॉलटेक से बहुत प्रभावित थे – कई महत्वपूर्ण स्मारक और मंदिर बनाए गए थे। ये सबसे अद्भुत कृत्या थी उस समय की चिचेन इट्ज़ा नाम माया सभ्यता द्वारा रखा गया है इसे भी दुनिया सबसे अद्भुत कृत्यों में रखा गया है।ये आज भी यह रहस्यमई है.
4. माचू पिचू (Machu Picchu)
माचू पिचू (Machu Picchu) दक्षिण अमेरिकी देश पेरू मे स्थित एक इंका सभ्यता से संबंधित ऐतिहासिक स्थल है। यह समुद्र तल से 2,430 मीटर की ऊँचाई के ऊपर एक पहाड़ पर स्थित है। यह कुज़्को से 80 किलोमीटर (50 मील) उत्तर पश्चिम में स्थित है। इसे अक्सर “इंकाओं का खोया शहर “ भी कहा जाता है। माचू पिच्चू इंका साम्राज्य के सबसे परिचित प्रतीकों में से एक है। 1430 ई. के आसपास इंकाओं ने इसका निर्माण अपने शासकों के आधिकारिक स्थल के रूप में शुरू किया था, लेकिन इसके लगभग सौ साल बाद, जब इंकाओं पर स्पेनियों ने विजय प्राप्त कर ली तो इसे यूँ ही छोड़ दिया गया। हालांकि स्थानीय लोग इसे शुरु से जानते थे पर सारे विश्व को इससे परिचित कराने का श्रेय हीरम बिंघम को जाता है जो एक अमेरिकी इतिहासकार थे और उन्होने इसकी खोज 1911 में की थी, तब से माचू पिच्चू एक महत्वपूर्ण पर्यटन आकर्षण बन गया है। इसे 1983 में इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल की दर्जा दिया गया।
5. क्राइस्ट द रिडीमर (Christ the Redeemer)
क्राइस्ट द रिडीमर (Christ the Redeemer) ब्राज़ील के रियो डी जेनेरो में स्थापित ईसा मसीह की एक प्रतिमा है जिसे दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आर्ट डेको स्टैच्यू माना जाता है। यह प्रतिमा अपने 9.5 मीटर (31 फीट) आधार सहित 39.6 मीटर (130 फीट) लंबी और 30 मीटर (98 फीट) चौड़ी है। इसका वजन 635 टन (700 शॉर्ट टन) है और तिजुका फोरेस्ट नेशनल पार्क में कोर्कोवाडो पर्वत की चोटी पर स्थित है700-मीटर (2,300 फीट) जहाँ से पूरा शहर दिखाई पड़ता है। यह दुनिया में अपनी तरह की सबसे ऊँची मूर्तियों में से एक है
6. चीन की विशाल दीवार (Great Wall of China)
चीन की विशाल दिवार के नाम से प्रसिद्ध यह दिवार चीन बहरी सिमा पर बानी एक किलेनुमा दिवार है जो की पाँचवीं शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर सोलहवी शताब्दी तक बनवाया गया है यह दीवार 6400 किलोमीटर के क्षेत्र में फैली है। इसका विस्तार पूर्व में शानहाइगुआन से पश्चिम में लोप नुर तक है और कुल लंबाई लगभग 6700 कि॰मी॰ (4160 मील) है। हालांकि पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के हाल के सर्वेक्षण के अनुसार समग्र महान दीवार, अपनी सभी शाखाओं सहित 8,851.8 कि॰मी॰ (5,500.3 मील) तक फैली है इसकी विशालता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है की इस दिवार को अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है एक अनुमान के अनुसार इस दिवार को बनाने में लगभग 20 से ३० लाख लोग लगे थे सम्राट किन शि हुआंग ने 221 ईसा पूर्व के आसपास महान दीवार के निर्माण का आदेश दिया, तो दीवार का निर्माण करने वाली श्रम शक्ति बड़े पैमाने पर सैनिकों और कैदियों से बनी थी। यह कहा जाता है कि दीवार के निर्माण के दौरान 400,000 लोग मारे गए थे.
7. पेत्रा (Petra)
पेत्रा जॉर्डन के म’आन प्रान्त में स्थित एक ऐतिहासिक नगरी है जो अपने पत्थर से तराशी गई इमारतों और जलवाहन प्रणाली के लिए प्रसिद्ध है। इसे छठी शताब्दी ईसापूर्व में नबातियों ने अपनी राजधानी के तौर पर स्थापित किया था। माना जाता है कि इसका निर्माण कार्य १२०० ईसा पूर्व के आसपास शुरू हुआ। आधुनिक युग में यह एक मशहूर पर्यटक स्थल है। पेत्रा एक “होर” नामक पहाड़ की ढलान पर बना हुई है और पहाड़ों से घिरी हुई एक द्रोणी में स्थित है। यह पहाड़ मृत सागर से अक़ाबा की खाड़ी तक चलने वाली “वादी अरबा” नामक घाटी की पूर्वी सीमा हैं। पेत्रा को युनेस्को द्वारा एक विश्व धरोहर होने का दर्जा मिला हुआ है। बीबीसी ने अपनी “मरने से पहले ४० देखने योग्य स्थान” में पेत्रा को भी शामिल किया हुआ है।
6 वीं शताब्दी ईसा पूर्व से पेत्रा नाबातियन साम्राज्य की प्रभावशाली राजधानी थी। जिसके बाद इस साम्राज्य का 106 ई° में रोमन साम्राज्य में विलय हो गया था और रोमनों ने शहर का विस्तार जारी रखा। व्यापार और वाणिज्य के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र, पेत्रा ने तब तक विकास जारी रखा जब तक कि एक विनाशकारी भूकंप ने इमारतों को नष्ट नहीं कर दिया और छठी शताब्दी में मुस्लिमों ने पेत्रा को जीत लिया लेकिन यह ज्यादा समय तक मुसलमानों के अधीन नहीं रहा। इसके बाद 1189 ई° में मध्य पूर्व के मुस्लिम सुल्तान सलादिन की विजय के बाद पेत्रा को ईसाइयों ने त्याग दिया।
ट्रांस-जॉर्डन के गठन के बाद इस स्थल की पहली वास्तविक पुरातात्विक खुदाई 1929 ईस्वी में गयी थीं। 1989 में स्टीवन स्पीलबर्ग ने फिल्म इंडियाना जोन्स और लास्ट क्रूसेड का फिल्मांकन इस स्थान पर किया था जिसके कारण यह जॉर्डन के सबसे बड़े पर्यटक आकर्षण बन गया। पेत्रा की शानदार इंजीनियरिंग उपलब्धियों और अच्छी तरह से संरक्षित आयाम के कारण पेत्रा, को पुरातात्विक स्थल जुलाई 2007 में दुनिया के नए सात आश्चर्यों में से एक के रूप में चुना गया।
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